मुझसे इस क़दर ख़फ़ा न हो
फिर मिलें तो, शर्मिंदा न हों
आना है तो, जल्दी लौट आ
ऐसा न हो, हम ज़िंदा न हों
मेरी आदतें न बिगाड़ तू, कि
बिन तेरे मेरा गुज़ारा न हो
काँच सा दिल है टूट न जाए
फिर देखने को आईना न हो
महताब ख़फ़ा, सूरज ख़फ़ा
ऐसा तो नही, उजाला न हो
मुकेश एहतियात से रह तू
कहीं वही गल्ती दुबारा न हो
मुकेश इलाहाबादी ----------
फिर मिलें तो, शर्मिंदा न हों
आना है तो, जल्दी लौट आ
ऐसा न हो, हम ज़िंदा न हों
मेरी आदतें न बिगाड़ तू, कि
बिन तेरे मेरा गुज़ारा न हो
काँच सा दिल है टूट न जाए
फिर देखने को आईना न हो
महताब ख़फ़ा, सूरज ख़फ़ा
ऐसा तो नही, उजाला न हो
मुकेश एहतियात से रह तू
कहीं वही गल्ती दुबारा न हो
मुकेश इलाहाबादी ----------
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