न नीचे ज़मी न ऊपर आसमान है
खामोश दरिया अपने दरम्यान है
है निभा ले जाना उम्रभर मुश्किल
कहदेना लफ़्ज़े मुहब्बत आसान है
मुकेश ऊंचाई पे पंहुच के देखना,
फिसल न जाओ चिकनी ढलान है
मुकेश इलाहाबादी -----------
खामोश दरिया अपने दरम्यान है
है निभा ले जाना उम्रभर मुश्किल
कहदेना लफ़्ज़े मुहब्बत आसान है
मुकेश ऊंचाई पे पंहुच के देखना,
फिसल न जाओ चिकनी ढलान है
मुकेश इलाहाबादी -----------
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