वो आती है, मुँह चिढ़ाती है, भाग जाती है
उत्ती मासूम है नहीं, जित्ती दिखाई देती है
कभी कैथा, कभी ईमली, कभी अमियाँ
टिकिया गोलगप्पे मज़े ले ले के खाती है
कभी स्कर्ट, कभी जीन्स तो कभी कुर्ता
कभी बॉब्ड कट कभी, दो चोटी रखती है
वैसे तो वो मेरी हर बात माना करती है
जो मांगू उससे बोसा, अंगूठा दिखाती है
अपने पापा अपने भाई सभी से लड़ती है
सिर्फ अपनी मम्मी की डांट, से डरती है
है खेल में पढ़ाई में, लिखाई में, अव्वल
संजीदा हो तो तो बड़ी मासूम दिखती है
ये और बात जुबां से वो न कहती है पर
मगर मालूम है मुझसे ; प्यार करती है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
उत्ती मासूम है नहीं, जित्ती दिखाई देती है
कभी कैथा, कभी ईमली, कभी अमियाँ
टिकिया गोलगप्पे मज़े ले ले के खाती है
कभी स्कर्ट, कभी जीन्स तो कभी कुर्ता
कभी बॉब्ड कट कभी, दो चोटी रखती है
वैसे तो वो मेरी हर बात माना करती है
जो मांगू उससे बोसा, अंगूठा दिखाती है
अपने पापा अपने भाई सभी से लड़ती है
सिर्फ अपनी मम्मी की डांट, से डरती है
है खेल में पढ़ाई में, लिखाई में, अव्वल
संजीदा हो तो तो बड़ी मासूम दिखती है
ये और बात जुबां से वो न कहती है पर
मगर मालूम है मुझसे ; प्यार करती है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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