चरागों को
बुझा दिया जाए
सूरज पे,
पर्दा लगा दिया जाये
चाँद को
बादलों से ढक दिया जाए
कि,
तेरे चेहरे का नूर ही
काफ़ी है रोशनी के लिए
बुझा दिया जाए
सूरज पे,
पर्दा लगा दिया जाये
चाँद को
बादलों से ढक दिया जाए
कि,
तेरे चेहरे का नूर ही
काफ़ी है रोशनी के लिए
सुमी - के लिए
मुकेश इलाहाबादी -----
No comments:
Post a Comment