इक अर्सा के बाद भी
तनहा हूँ मैं आज भी
दिन तो उदास गुज़रा
होगी उदास रात भी
ग़म सारे बता दिए
अब देख तू, घाव भी
महफूज़ हैं, मेरे पास
वो ख़त वो गुलाब भी
हो गए ख़फ़ा, मुझसे
चाँद भी, महताब भी
मुकेश इलाहाबादी ---
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तनहा हूँ मैं आज भी
दिन तो उदास गुज़रा
होगी उदास रात भी
ग़म सारे बता दिए
अब देख तू, घाव भी
महफूज़ हैं, मेरे पास
वो ख़त वो गुलाब भी
हो गए ख़फ़ा, मुझसे
चाँद भी, महताब भी
मुकेश इलाहाबादी ---
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