चंदन सा महकता है कोई
साँसों में बस गया है कोई
जब जब तुमसे मिलता हूँ
गुलाब सा खिलता है कोई
कली क्यूँ मुस्कुराई शायद
भौंरा गुनगुना गया है कोई
तेरी पायल की रुनझुन है
या संतूर बजा गया है कोई
मुकेश इलाहाबादी -------
साँसों में बस गया है कोई
जब जब तुमसे मिलता हूँ
गुलाब सा खिलता है कोई
कली क्यूँ मुस्कुराई शायद
भौंरा गुनगुना गया है कोई
तेरी पायल की रुनझुन है
या संतूर बजा गया है कोई
मुकेश इलाहाबादी -------
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