कि ज़िगर चाक हुआ जाता है
जिस्म भी ख़ाक हुआ जाता है
दुनिया के लिए जल - जल के
आफ़ताब ख़ाक हुआ जाता है
गांव हो शहर हो कि बस्ती हो
घर - घर बाजार हुआ जाता है
मुकेश ज़माने की हवा ऐसी कि
बच्चा भी चालक हुआ जाता है
मुकेश इलाहाबादी -------------
जिस्म भी ख़ाक हुआ जाता है
दुनिया के लिए जल - जल के
आफ़ताब ख़ाक हुआ जाता है
गांव हो शहर हो कि बस्ती हो
घर - घर बाजार हुआ जाता है
मुकेश ज़माने की हवा ऐसी कि
बच्चा भी चालक हुआ जाता है
मुकेश इलाहाबादी -------------
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