जैसे,
दरिया,
बतियाता है
लहरों से
कलकल- कलकल
सन्नाटा बतियाता है
हवा से,
गुपचुप - गुपचुप
भौंरा,
बतियाता है कली से
भुनभुन - भुनभुन
बस,
ऐसे ही मैं
बतियाता हूँ तुमसे
हर दिन - हर पल
मुकेश इलाहाबादी -----------
दरिया,
बतियाता है
लहरों से
कलकल- कलकल
सन्नाटा बतियाता है
हवा से,
गुपचुप - गुपचुप
भौंरा,
बतियाता है कली से
भुनभुन - भुनभुन
बस,
ऐसे ही मैं
बतियाता हूँ तुमसे
हर दिन - हर पल
मुकेश इलाहाबादी -----------
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