अगर
तू इक खूबसूरत ख़ाब है
तो ख्वाब ही रह
अगर,
तू हकीकत है
तो, मिलने तो आ
मुकेश इलाहाबादी -------
तू
चाँद भी तो नहीं
मैं, फ़लक़ तक उड़ूँ
और पा लूँ , तुझे
तू , ख्वाब भी नहीं
मैं , आँखें बंद करूं
पलकों में तू आ बसे
तू , झरना भी नहीं
कि बहे तू
मेरे पर्वत से सीने पे
यहाँ तक कि
तू बादल भी नहीं कि
मैं धरती बन जाऊँ
और तू बरसे - झम- झम - झम
मैँ तो हारा,
अब ! तू ही बता तू क्या है?
मुकेश इल्लाहाबदी ------------
तू इक खूबसूरत ख़ाब है
तो ख्वाब ही रह
अगर,
तू हकीकत है
तो, मिलने तो आ
मुकेश इलाहाबादी -------
तू
चाँद भी तो नहीं
मैं, फ़लक़ तक उड़ूँ
और पा लूँ , तुझे
तू , ख्वाब भी नहीं
मैं , आँखें बंद करूं
पलकों में तू आ बसे
तू , झरना भी नहीं
कि बहे तू
मेरे पर्वत से सीने पे
यहाँ तक कि
तू बादल भी नहीं कि
मैं धरती बन जाऊँ
और तू बरसे - झम- झम - झम
मैँ तो हारा,
अब ! तू ही बता तू क्या है?
मुकेश इल्लाहाबदी ------------
No comments:
Post a Comment