दिले गुलशन उजाड़ के बिलखता हुआ देख
तेरी यही तमन्ना है तो मुझे रोता हुआ देख
अगर तू पत्थर है तो, इक बार छू ले मुझको
मुझे काँच सा छन्न - छन्न टूटता हुआ देख
सोचता हूँ मैं भी, इक दिन सूरज बन जाऊँ
तू ज़मी पे रहके, मुझको सुलगता हुआ देख
इक लम्हे को सही बेनक़ाब झरोखे पे तो आ
राह चलते हुए मुसाफिर को रुकता हुआ देख
मेरा वज़ूद फूलों की सिफ़त रखता है मुकेश
मसल दे पंखुरी - पंखुरी बिखरता हुआ देख
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
तेरी यही तमन्ना है तो मुझे रोता हुआ देख
अगर तू पत्थर है तो, इक बार छू ले मुझको
मुझे काँच सा छन्न - छन्न टूटता हुआ देख
सोचता हूँ मैं भी, इक दिन सूरज बन जाऊँ
तू ज़मी पे रहके, मुझको सुलगता हुआ देख
इक लम्हे को सही बेनक़ाब झरोखे पे तो आ
राह चलते हुए मुसाफिर को रुकता हुआ देख
मेरा वज़ूद फूलों की सिफ़त रखता है मुकेश
मसल दे पंखुरी - पंखुरी बिखरता हुआ देख
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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