आँख में आँसू आये, बहुत
मगर हम मुस्कुराये बहुत
तुम्हारा ज़िक्र छिड़ गया
और फिर हम रोये बहुत
रात मुस्कुराता चाँद देखा
फिर तुम याद आये बहुत
दर्द ने बयाँ कर दिया वर्ना
ज़ख्म हमने छुपाये बहुत
हया ने कुछ कहने न दिया
बाद में हम पछताये बहुत
मुकेश इलाहाबादी --------
मगर हम मुस्कुराये बहुत
तुम्हारा ज़िक्र छिड़ गया
और फिर हम रोये बहुत
रात मुस्कुराता चाँद देखा
फिर तुम याद आये बहुत
दर्द ने बयाँ कर दिया वर्ना
ज़ख्म हमने छुपाये बहुत
हया ने कुछ कहने न दिया
बाद में हम पछताये बहुत
मुकेश इलाहाबादी --------
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