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Sunday, 26 March 2017

अगर, तू ख्वाब है?

अगर,
तू ख्वाब है?
तो, ख़्वाब में क्यूँ नहीं आती ?
गर, तू हक़ीक़त है तो ?
दिन के उजाले में क्यूँ नहीं मिलती ?

क्यूँ - क्यूँ - क्यूँ  ,मेरी सुमी ?

मुकेश इलाहाबादी ---------------

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