तुम,
जब, चलती हो ले के
माथे,
पे घूंघट,
हथेलियों पे मेहंदी,
कलाइयों में,
खन -खन चूड़ियाँ
छम - छम करती पायल
महावर लगे पाँव
तब देवताओं का भी आसान डोलता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
जब, चलती हो ले के
माथे,
पे घूंघट,
हथेलियों पे मेहंदी,
कलाइयों में,
खन -खन चूड़ियाँ
छम - छम करती पायल
महावर लगे पाँव
तब देवताओं का भी आसान डोलता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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