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Tuesday, 20 June 2017

दुश्वारियों से मेरी यारी है

दुश्वारियों से मेरी यारी है
ज़िंदगी से जंग जारी है !

रात मैंने पिया  तो नहीं,,
आँखों  में  क्यूँ  ख़ुमारी है !

ये दुनिया भर की दौलतें
न तुम्हारी है न हमारी है

है, ईश्क़ ख़ुदा की नेमत ,,
दुनिया कहती बीमारी है

दुनिया सट्टे का बाजार
हम - तुम -सब जुँवारी हैं

मुकेश इलाहाबादी ----------

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