दुश्वारियों से मेरी यारी है
ज़िंदगी से जंग जारी है !
रात मैंने पिया तो नहीं,,
आँखों में क्यूँ ख़ुमारी है !
ये दुनिया भर की दौलतें
न तुम्हारी है न हमारी है
है, ईश्क़ ख़ुदा की नेमत ,,
दुनिया कहती बीमारी है
दुनिया सट्टे का बाजार
हम - तुम -सब जुँवारी हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------
ज़िंदगी से जंग जारी है !
रात मैंने पिया तो नहीं,,
आँखों में क्यूँ ख़ुमारी है !
ये दुनिया भर की दौलतें
न तुम्हारी है न हमारी है
है, ईश्क़ ख़ुदा की नेमत ,,
दुनिया कहती बीमारी है
दुनिया सट्टे का बाजार
हम - तुम -सब जुँवारी हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------
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