रात
चाँद झील में उतरा
झील थोड़ा
कुनमुनाई
करवट ली
फिर हौले से
चाँद को अपनी बाँहों में
ले सो गयी सुबह तक के लिए
सूरज उगते ही
चाँद फिर आसमान में जा टंगा
झील उसे देख
मुसकराती हुई बहने लगी हौले हौले
मुकेश इलाहाबादी -----------
चाँद झील में उतरा
झील थोड़ा
कुनमुनाई
करवट ली
फिर हौले से
चाँद को अपनी बाँहों में
ले सो गयी सुबह तक के लिए
सूरज उगते ही
चाँद फिर आसमान में जा टंगा
झील उसे देख
मुसकराती हुई बहने लगी हौले हौले
मुकेश इलाहाबादी -----------
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