एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 13 June 2017
छतरी
धूप
और बारिश में
न जाने क्या होता ?
तुम्हारी यादों की
सतरंगी छतरी न होती तो ?
मुकेश इलाहाबादी -----------
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