Pages

Tuesday, 4 July 2017

मै, सूरज सा उगूँ

मै,
सूरज सा उगूँ
तुम
चाँदनी सा छिटक जाओ
आ ! इस तरह हम तुम एक हो जाएँ
आ ! हम तुम रातों दिन हो जाएँ

तुम, फूल सा खिलो
मै , सुगंध हो जाऊँ
आ ! हम तुम गुलशन गुलशन हो जाएँ

मुकेश इलाहाबादी --------------

No comments:

Post a Comment