मै,
सूरज सा उगूँ
तुम
चाँदनी सा छिटक जाओ
आ ! इस तरह हम तुम एक हो जाएँ
आ ! हम तुम रातों दिन हो जाएँ
तुम, फूल सा खिलो
मै , सुगंध हो जाऊँ
आ ! हम तुम गुलशन गुलशन हो जाएँ
मुकेश इलाहाबादी --------------
सूरज सा उगूँ
तुम
चाँदनी सा छिटक जाओ
आ ! इस तरह हम तुम एक हो जाएँ
आ ! हम तुम रातों दिन हो जाएँ
तुम, फूल सा खिलो
मै , सुगंध हो जाऊँ
आ ! हम तुम गुलशन गुलशन हो जाएँ
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment