सुनो
एक दिन कुछ ऐसा करते हैं
तुम
अपने शैम्पू लगे बालों की जगह
किसी दिन तेल चुपड़े बालों को
नारंगी रिबन से कास के बाँधी गयी दो चुटिया
कर के, अपने कंधे पे पुराने दुपट्टे को सजाए हुए आओ न
एक बार फिर देखना चाहता हूँ
तुम्हे तुम्हारे पुराने रूप में
अल्हड , मासूम और अलमस्त
और मै
अमिताभ स्टाइल में कानो पे बाल
और लम्बे कालेर की शर्ट पे
बेलबाटम ,
आँखों पे बड़े ग्लास का चस्मा लगा के आऊं
और हम दोनों देखें चोरी से
शहर के सबसे पुराने पिक्चर हाल की पिछली सीट पे
बैठ के कोइ फिल्म
और फिर धड़कते दिल से वापस घर आयें
मुकेश इलाहाबादी ---------
एक दिन कुछ ऐसा करते हैं
तुम
अपने शैम्पू लगे बालों की जगह
किसी दिन तेल चुपड़े बालों को
नारंगी रिबन से कास के बाँधी गयी दो चुटिया
कर के, अपने कंधे पे पुराने दुपट्टे को सजाए हुए आओ न
एक बार फिर देखना चाहता हूँ
तुम्हे तुम्हारे पुराने रूप में
अल्हड , मासूम और अलमस्त
और मै
अमिताभ स्टाइल में कानो पे बाल
और लम्बे कालेर की शर्ट पे
बेलबाटम ,
आँखों पे बड़े ग्लास का चस्मा लगा के आऊं
और हम दोनों देखें चोरी से
शहर के सबसे पुराने पिक्चर हाल की पिछली सीट पे
बैठ के कोइ फिल्म
और फिर धड़कते दिल से वापस घर आयें
मुकेश इलाहाबादी ---------
No comments:
Post a Comment