जैसे
सुबह
के आँचल में
किसी ने टाँक दिया हो
गुलाबी सूरज
बस, ऐसे ही चमकती है
तुम्हारे माथे की गोल बिंदी
(तुम बहुत प्यारी हो - सच्ची मुच्ची )
मुकेश इलाहाबादी --------------------
सुबह
के आँचल में
किसी ने टाँक दिया हो
गुलाबी सूरज
बस, ऐसे ही चमकती है
तुम्हारे माथे की गोल बिंदी
(तुम बहुत प्यारी हो - सच्ची मुच्ची )
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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