आ ईश्क़ का दरिया है कूद जाते हैं
तन्हाई से तो बेहतर है डूब जाते हैं
ईश्क़ का लुत्फ़ कुछ और बढ़ा लें
हम तुम इक दुसरे से रूठ जाते हैं
है बारिश का मौसम और हवा ठंडी
आओ टहलते हुए कुछ दूर जाते हैं
बेवफा दोस्तों को याद रक्खा जाए
इससे बेहतर है इनको भूल जाते हैं
मुकेश इलाहबादी -----------------
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