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Friday, 14 July 2017

न बिखरने देता है,न संवरने देता है

न बिखरने देता है,न संवरने देता है
न मिलता है न ही बिछड़ने देता है

कभी पानी में रखता है कभी बाहर
न मरने देता है, न  तड़पने देता है

हवा का झोंका  आ के उड़ा ले जाए
न गरजने देता है न बरसने देता है

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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