भले ही आग व पानी का रक्खो
रिश्ता पहाड़ और खाई का रक्खो
मुझसे कोइ तो एक रिश्ता रक्खो
दोस्ती न सही दुश्मनी का रक्खो
गर चाहत है महकता रहे घर तेरा
सहन में खिलाये रातरानी रक्खो
मुझसे कोई रिश्ता रखना चाहो तो
रिश्ता महिवाल सोणी का रक्खो
रिश्ता या तो दिल से दिल का हो
या फिर राह चलते अजनबी को हो
मुकेश इलाहाबादी --------------
रिश्ता पहाड़ और खाई का रक्खो
मुझसे कोइ तो एक रिश्ता रक्खो
दोस्ती न सही दुश्मनी का रक्खो
गर चाहत है महकता रहे घर तेरा
सहन में खिलाये रातरानी रक्खो
मुझसे कोई रिश्ता रखना चाहो तो
रिश्ता महिवाल सोणी का रक्खो
रिश्ता या तो दिल से दिल का हो
या फिर राह चलते अजनबी को हो
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment