तुम इतना भी सज संवर के न आया करो
हद से ज़्यादा नाज़ो नखरे न दिखाया करो
पानी पे लिखो रेत पे लिखो दिल पे लिखो
इश्क़ लिख कर फिर फिर मिटाया न करो
तुम अपने सारे रंजो ग़म मुझको सुना देना
अपना सुख दुःख किसी को सुनाया न करो
इक बार कह दिया तो कह दिया 'तू मेरी है'
बार बार मुझसे यही बात कहलाया न करो
पुराना रिन्द हूँ मैखाना का मैखाना पी जाऊँ
अपनी आँखों से इस क़दर पिलाया न कर
दिल हमारा कच्ची ज़मीन का है जानेमन
सावन भादों सा मुहब्बत बरसाया का करो
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
हद से ज़्यादा नाज़ो नखरे न दिखाया करो
पानी पे लिखो रेत पे लिखो दिल पे लिखो
इश्क़ लिख कर फिर फिर मिटाया न करो
तुम अपने सारे रंजो ग़म मुझको सुना देना
अपना सुख दुःख किसी को सुनाया न करो
इक बार कह दिया तो कह दिया 'तू मेरी है'
बार बार मुझसे यही बात कहलाया न करो
पुराना रिन्द हूँ मैखाना का मैखाना पी जाऊँ
अपनी आँखों से इस क़दर पिलाया न कर
दिल हमारा कच्ची ज़मीन का है जानेमन
सावन भादों सा मुहब्बत बरसाया का करो
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
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