सपनो में कभी कोई राजकुमारी नहीं आयी
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मेरे
सपनो में कभी कोई
राजकुमारी नहीं आयी
उसके
सपनो में भी कोई
राजकुमार और घोडा नहीं आता था
शायद सपने भी औकात देख कर आते हैं
उसका बाप कचहरी में चपरासी था
मेरा बाप भी सरकारी बाबू
उसे मेरे स्कूल आने जाने और
खले के मैदान जाने का वक़्त पता था
मुझे भी उसके सहेलियों के झुण्ड में
स्कूल आने जाने का वक़्त पता था
वह कब छत पे आएगी पता होता
काफी दिन तो एक दुसरे को सिर्फ देखते थे
मैँ अपनी साइकिल तेज़ कर लेता
वो भी तेज़ कदमो से घर की तरफ चल देती
एक दो बार दरवाज़े पे कागज़ की पुर्ज़ियों में
ख़त भी फेंके गए
आस पड़ोस में फुसफुसाहट शुरू होती इसके पहले
उसके जीवन में एक राजकुमार आ गया
जो सपनो में नहीं आया था कभी
उस सच्ची मुच्ची के राजकुमार के घोड़े की पूछ में
सरकारी बाबू का टैग लगा
और मेरी पुरानी कमीज में
'बेरोज़गारी' का टैग मुँह चिढ़ा रहा था
जिस दिन वो राजकुमार अपने घोड़े पे अपनी
राजकुमारी लेने आया
उस दिन मैंने अकेले में कई पैकेट सिगरेट पिया
पहली बार
खांसते खांसते अपने सबसे खास दोस्त के साथ
बहुत दूर तक पैदल टहलता रहा
दुसरे दिन राजकुमारी अपने राजकुमार के साथ
शहर छोड़ के जा चुकी थी
और मै भी महानगर के रास्ते में था
ये मेरे जीवन के पहले और अंतिम प्रेम का अंत था
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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मेरे
सपनो में कभी कोई
राजकुमारी नहीं आयी
उसके
सपनो में भी कोई
राजकुमार और घोडा नहीं आता था
शायद सपने भी औकात देख कर आते हैं
उसका बाप कचहरी में चपरासी था
मेरा बाप भी सरकारी बाबू
उसे मेरे स्कूल आने जाने और
खले के मैदान जाने का वक़्त पता था
मुझे भी उसके सहेलियों के झुण्ड में
स्कूल आने जाने का वक़्त पता था
वह कब छत पे आएगी पता होता
काफी दिन तो एक दुसरे को सिर्फ देखते थे
मैँ अपनी साइकिल तेज़ कर लेता
वो भी तेज़ कदमो से घर की तरफ चल देती
एक दो बार दरवाज़े पे कागज़ की पुर्ज़ियों में
ख़त भी फेंके गए
आस पड़ोस में फुसफुसाहट शुरू होती इसके पहले
उसके जीवन में एक राजकुमार आ गया
जो सपनो में नहीं आया था कभी
उस सच्ची मुच्ची के राजकुमार के घोड़े की पूछ में
सरकारी बाबू का टैग लगा
और मेरी पुरानी कमीज में
'बेरोज़गारी' का टैग मुँह चिढ़ा रहा था
जिस दिन वो राजकुमार अपने घोड़े पे अपनी
राजकुमारी लेने आया
उस दिन मैंने अकेले में कई पैकेट सिगरेट पिया
पहली बार
खांसते खांसते अपने सबसे खास दोस्त के साथ
बहुत दूर तक पैदल टहलता रहा
दुसरे दिन राजकुमारी अपने राजकुमार के साथ
शहर छोड़ के जा चुकी थी
और मै भी महानगर के रास्ते में था
ये मेरे जीवन के पहले और अंतिम प्रेम का अंत था
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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