मेरे
अंदर एक समुन्दर है
हरहराता हुआ
एक सुप्तज्वाला मुखी है
जो जिसके अंदर का लावा
कभी फूट के नहीं बहा
एक पहाड़ है
दुखों का
एक
टिमटिमाता तारा है
उम्मीदों का
एक सूरज है
अपने भरोसे का
एक चाँद है
तुम्हारी मुस्कान का
यादों की आकाशगंगा है
देखो तो ! मेरे अंदर पूरा ब्रम्हांड है
मुकेश इलाहाबादी ---------------
अंदर एक समुन्दर है
हरहराता हुआ
एक सुप्तज्वाला मुखी है
जो जिसके अंदर का लावा
कभी फूट के नहीं बहा
एक पहाड़ है
दुखों का
एक
टिमटिमाता तारा है
उम्मीदों का
एक सूरज है
अपने भरोसे का
एक चाँद है
तुम्हारी मुस्कान का
यादों की आकाशगंगा है
देखो तो ! मेरे अंदर पूरा ब्रम्हांड है
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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