जो
सब से चटक रंग है
मेरे दिल के कैनवास में
जिसमे
हरे सी हरियाली है
गुलाब सा गुलाबी पन भी है
सफ़ेद की सादगी है
गेरुआ सी सात्विकता है
वो
तुम हो तुम हो तुम हो
वो तुम ही हो जिसमे
हरे के भी हज़ार शेड हैं
और ????
मुहब्बत के - अनगिनत
क्यूँ , सच है न मेरी सुमी ?
मुकेश इलाहाबादी ----
सब से चटक रंग है
मेरे दिल के कैनवास में
जिसमे
हरे सी हरियाली है
गुलाब सा गुलाबी पन भी है
सफ़ेद की सादगी है
गेरुआ सी सात्विकता है
वो
तुम हो तुम हो तुम हो
वो तुम ही हो जिसमे
हरे के भी हज़ार शेड हैं
और ????
मुहब्बत के - अनगिनत
क्यूँ , सच है न मेरी सुमी ?
मुकेश इलाहाबादी ----
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