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Tuesday, 22 August 2017

होश उड़ाने के लिए तेरा मुस्कुराना ही काफ़ी था

होश उड़ाने के लिए तेरा मुस्कुराना ही काफ़ी था
यूँ मुँह चिढ़ा के भाग जाने की ज़रूरत क्या थी ?
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

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