तेरे इश्क़ के उपवन में हूँ
जाने किस उलझन में हूँ
तू मेरे अंदर है और मै भी
तेरी आँखों के दर्पन में हूँ
बिंदिया में हूँ चूड़ी में हूँ
पायल में हूँ कंगन में हूँ
प्यार करे तू तो बाहों में
वरना झूठी अनबन में हूँ
तेरे गालों के डिम्पल में,
तू खुश है तो चुंबन में हूँ
तू साथ रहे तो लगता है
जैसे की मै मधुबन में हूँ
वैसे तो मै हूँ उड़ता पंछी
पर अब, तेरे बंधन में हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---------
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