तेरे जाने के बाद,
रात चाँद अच्छा नहीं लगता
दिन सूरज अच्छा नहीं लता
नींद नहीं अच्छी लगती,मुझे
कोई ख़ाब अच्छा नहीं लगता
महंगाई व मुफिलसी में, घर
मेहमान अच्छा नहीं लगता
जाड़ा अच्छा नहीं लगता न
सावन अच्छा नहीं लगता
तुम साथ रहते हो मेरे, तब,,
कोई और अच्छा नहीं लगता
मुकेश इलाहाबादी ---------
रात चाँद अच्छा नहीं लगता
दिन सूरज अच्छा नहीं लता
नींद नहीं अच्छी लगती,मुझे
कोई ख़ाब अच्छा नहीं लगता
महंगाई व मुफिलसी में, घर
मेहमान अच्छा नहीं लगता
जाड़ा अच्छा नहीं लगता न
सावन अच्छा नहीं लगता
तुम साथ रहते हो मेरे, तब,,
कोई और अच्छा नहीं लगता
मुकेश इलाहाबादी ---------
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