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Saturday, 5 August 2017

मै ही पर्वत बनू

मै ही पर्वत बनू
मै ही सागर बनू

(बीच में तुम बहो दरिया सा )

मै ही सूरज बनू
मैँ ही चाँद बनू

(बीच में तुम डोलो धरती सा )

मुकेश इलाहाबादी -----------

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