मै ही पर्वत बनू
मै ही सागर बनू
(बीच में तुम बहो दरिया सा )
मै ही सूरज बनू
मैँ ही चाँद बनू
(बीच में तुम डोलो धरती सा )
मुकेश इलाहाबादी -----------
मै ही सागर बनू
(बीच में तुम बहो दरिया सा )
मै ही सूरज बनू
मैँ ही चाँद बनू
(बीच में तुम डोलो धरती सा )
मुकेश इलाहाबादी -----------
No comments:
Post a Comment