बादल सा आते हो बारिश लाते हो
हम सूखी धरती हरा कर जाते हो
उदास दिल थोड़ा खुश हो जाता है
तुम खिलखिलाते हुए जब आते हो
जब कभी मायूस हो जाता हूँ,मित्र
तुम ही तो हो जो हौसला बढ़ाते हो
राह गलत जो पकड़ूँ मै, तब - तब
दीपक बन तुम ही राह दिखाते हो
(मित्रों की माला का नायब मोती हो तुम )
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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