अक्सर
पुराने एल्बम की
धूसर होती तस्वीरों में
एक ग्रुप तस्वीर में से
एक चेहरा झांकता है
जो कुछ कहना चाहता है
और मै सुन्ना चाहता हूँ
पर चाह कर भी उसकी आवाज़ नहीं सुन पाता
घबरा कर
लोगों की नज़रें बचा कर
एल्बम के उस पन्ने को पलट देता हूँ
या फिर अल्बम ही बंद कर मौन हो जाता हूँ
बहुत देर तक के लिए
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
पुराने एल्बम की
धूसर होती तस्वीरों में
एक ग्रुप तस्वीर में से
एक चेहरा झांकता है
जो कुछ कहना चाहता है
और मै सुन्ना चाहता हूँ
पर चाह कर भी उसकी आवाज़ नहीं सुन पाता
घबरा कर
लोगों की नज़रें बचा कर
एल्बम के उस पन्ने को पलट देता हूँ
या फिर अल्बम ही बंद कर मौन हो जाता हूँ
बहुत देर तक के लिए
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
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