जितनी बार कसौटी पे कसा गया
हर बार हमको खरा पाया गया
हमने सच की तरफदारी क्या की,
हमी को गुनहगार ठहराया गया
हमने तो ईश्क़ बातें की थी पर
हमको ही सूली पर चढ़ाया गया
जो कहा वो किया की सजा थी
कांटो की सेज़ पे लिटाया गया
जितना, हंसना मुस्कुराना चाहा
हमको उतना ज़्यादा रुलाया गया
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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