निगोड़ा सावन बहुत बरसता है
मन तुम बिन बहुत तरसता है
तूने मुझको इक दिन छुआ था
मेरा बदन आज भी महकता है
गर तेरे दिल में प्यार नहीं तो ?
तेरे आँखों में क्या छलकता है
मुद्दतों हुई मिला नहीं फिर भी
तेरे नाम से ये दिल धड़कता है
मुकेश इलाहाबादी -------
मन तुम बिन बहुत तरसता है
तूने मुझको इक दिन छुआ था
मेरा बदन आज भी महकता है
गर तेरे दिल में प्यार नहीं तो ?
तेरे आँखों में क्या छलकता है
मुद्दतों हुई मिला नहीं फिर भी
तेरे नाम से ये दिल धड़कता है
मुकेश इलाहाबादी -------
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