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Monday, 11 September 2017

फूल मै इक खिला देखूं

फूल मै इक खिला देखूं
तुझे मै मुस्कुराता देखूं

तनहा - तनहा रातों में
छत पे चाँद खिला देखूं

मै पर्वत तू बादल, बन  
तुझको मै बरसता देखूं

तू कुछ माँगे ! मै न दूँ,
बच्चों सा मचलता देखूं


मुकेश इलाहाबादी ---

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