फूल मै इक खिला देखूं
तुझे मै मुस्कुराता देखूं
तनहा - तनहा रातों में
छत पे चाँद खिला देखूं
मै पर्वत तू बादल, बन
तुझको मै बरसता देखूं
तू कुछ माँगे ! मै न दूँ,
बच्चों सा मचलता देखूं
मुकेश इलाहाबादी ---
तुझे मै मुस्कुराता देखूं
तनहा - तनहा रातों में
छत पे चाँद खिला देखूं
मै पर्वत तू बादल, बन
तुझको मै बरसता देखूं
तू कुछ माँगे ! मै न दूँ,
बच्चों सा मचलता देखूं
मुकेश इलाहाबादी ---
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