अपनी सारी ख्वाहिशें इंतज़ार की दहलीज़ पे रख आया हूँ,
इन उम्मीद पे न जाने के कब इधर से गुज़रो और तुम्हारे
पाँव मेरी ख्वाहिशों पे पाँव रखते हुए आगे बढ़ जाएँ किसी
और मंज़िल की ओर, जो मेरे घर की ओर तो क़तई नहीं
जाती होगी। मुझे इत्ता तो पता है।
मै तुम्हारे लिए तुम्हारी फेवरेट चॉकलेट लाया हूँ , तुम खुश
मेरे देने के पहले ही मेरे हाथ से छीन लेती हो, तुम्हारा खुश
खुश चेहरा देखता हूँ, तुम्हारे नेल पॉलिश लगे हाथों से
चॉकलेट के रैपर को खोलना और नेचुरल कलर की लिपस्टिक
वाले मूँगिया होठों के बीच कॉफी कलर की चॉकलेट बहुत
सेक्सी लग रही है, इस दृश्य को कैच कर लेता हूँ मोबाइल में,
(उम्र भर के लिए एक छोटी सी खुशी कैद कर ली हमने - इस तरह )
पार्क - बोगन बेलिया की झाड़ियों के पास कोने की बेंच पे बैठे हैं,
हम - तुम, मै तुम्हे बहाने से छूना चाहता हूँ पर तुम हंसती हुई
हमारे हाथों को बहाने से हटा देती हो , तभी पार्क के बहार चुरमुरा
वाला दीखता है, तुम खाने के लिए कहती हो,
मेरे दोनों हाथों में चुरुमरे के ठोंगे हैं, जिसे मै संभाले संभाले खुश
खुश लिए जा रहा हूँ तुम्हारे लिए पार्क के कोने वाली बेंच पे
जो वैगन बेलिया की झाड़ियों से छुप सी जाती है।
थोड़ा सा चुरमुरा तुम्हारे होठों पे चिपक गया है , जिसे मै अपनी
उँगलियों से छुड़ाने के बहाने से छू लेता हूँ तुम्हे और तुम्हारे
घिसी हुई बर्फ से ठन्डे और मुलायम गोले जैसे गाल को , और तुम
' बदमाशी ,,," कह के मेरा हाथ हटा देती हो।
एक सेकंड का ये सुख मेरे दिल में क़ैद हो चुका है , तुम्हारे गाल के
ठंडेपन के साथ हमेशा - हमेशा के लिए
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------
इन उम्मीद पे न जाने के कब इधर से गुज़रो और तुम्हारे
पाँव मेरी ख्वाहिशों पे पाँव रखते हुए आगे बढ़ जाएँ किसी
और मंज़िल की ओर, जो मेरे घर की ओर तो क़तई नहीं
जाती होगी। मुझे इत्ता तो पता है।
मै तुम्हारे लिए तुम्हारी फेवरेट चॉकलेट लाया हूँ , तुम खुश
मेरे देने के पहले ही मेरे हाथ से छीन लेती हो, तुम्हारा खुश
खुश चेहरा देखता हूँ, तुम्हारे नेल पॉलिश लगे हाथों से
चॉकलेट के रैपर को खोलना और नेचुरल कलर की लिपस्टिक
वाले मूँगिया होठों के बीच कॉफी कलर की चॉकलेट बहुत
सेक्सी लग रही है, इस दृश्य को कैच कर लेता हूँ मोबाइल में,
(उम्र भर के लिए एक छोटी सी खुशी कैद कर ली हमने - इस तरह )
पार्क - बोगन बेलिया की झाड़ियों के पास कोने की बेंच पे बैठे हैं,
हम - तुम, मै तुम्हे बहाने से छूना चाहता हूँ पर तुम हंसती हुई
हमारे हाथों को बहाने से हटा देती हो , तभी पार्क के बहार चुरमुरा
वाला दीखता है, तुम खाने के लिए कहती हो,
मेरे दोनों हाथों में चुरुमरे के ठोंगे हैं, जिसे मै संभाले संभाले खुश
खुश लिए जा रहा हूँ तुम्हारे लिए पार्क के कोने वाली बेंच पे
जो वैगन बेलिया की झाड़ियों से छुप सी जाती है।
थोड़ा सा चुरमुरा तुम्हारे होठों पे चिपक गया है , जिसे मै अपनी
उँगलियों से छुड़ाने के बहाने से छू लेता हूँ तुम्हे और तुम्हारे
घिसी हुई बर्फ से ठन्डे और मुलायम गोले जैसे गाल को , और तुम
' बदमाशी ,,," कह के मेरा हाथ हटा देती हो।
एक सेकंड का ये सुख मेरे दिल में क़ैद हो चुका है , तुम्हारे गाल के
ठंडेपन के साथ हमेशा - हमेशा के लिए
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------
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