Pages

Monday, 30 October 2017

तूने जो घूँघट उठा दिया होता

तूने जो घूँघट उठा दिया होता
शहर में उजाला हो गया होता

तू अपने गीले गेसू झटक देती
कोई नदी नाला न सूखा होता

नज़र भर देख लेती जो तुम,,
मुकेश यूँ दीवाना न बना होता

मुकेश इलाहाबादी -------------

No comments:

Post a Comment