जब
भी तुम खुश हो
हँसना
खूब हंसना जोर जोर से
उड़ना चिड़िया सा
या फिर फुदकना गिलहरी सा
और
नाचना आंगन में
बड़े से घांघरे को गोल गोल फहरा के
पर
जिस दिन जी उदास हो
मन रोने -रोने को हो
किसी के कांधे पे सर रख सोने को मन हो
बेशक - आ जाना मेरे पास
मिलूँगा मै तुम्हे
तुम्हारे इंतज़ार में
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
भी तुम खुश हो
हँसना
खूब हंसना जोर जोर से
उड़ना चिड़िया सा
या फिर फुदकना गिलहरी सा
और
नाचना आंगन में
बड़े से घांघरे को गोल गोल फहरा के
पर
जिस दिन जी उदास हो
मन रोने -रोने को हो
किसी के कांधे पे सर रख सोने को मन हो
बेशक - आ जाना मेरे पास
मिलूँगा मै तुम्हे
तुम्हारे इंतज़ार में
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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