आफताब नहीं महताब नहीं चराग़ नहीं
रौशनी के लिए कोई भी इंतज़ाम नहीं
न हिन्दू हूँ न मुस्लिम न सिक्ख ईशाई
मेरी इंसानियत के सिवा कोई जात नहीं
शुबो शाम फ़क़त भाग - दौड़ भाग- दौड़
ज़िंदगी में इकपल शुकूं नहीं आराम नहीं
,मुकेश इलाहाबादी ----------------------
रौशनी के लिए कोई भी इंतज़ाम नहीं
न हिन्दू हूँ न मुस्लिम न सिक्ख ईशाई
मेरी इंसानियत के सिवा कोई जात नहीं
शुबो शाम फ़क़त भाग - दौड़ भाग- दौड़
ज़िंदगी में इकपल शुकूं नहीं आराम नहीं
,मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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