सब से मिला जुला कर
रिश्ते भी निभाया कर
अपना दुःख -दर्द सुना
औरों की भी सुना कर
इतना उदास मत रह
थोड़ा हँसा हँसाया कर
दर्द हद से बढ़ जाए तो
ग़ज़लें नज़्मे कहा कर
मुक्कु अच्छा इंसान है
उससे मिला जुला कर
मुकेश इलाहाबादी -----
रिश्ते भी निभाया कर
अपना दुःख -दर्द सुना
औरों की भी सुना कर
इतना उदास मत रह
थोड़ा हँसा हँसाया कर
दर्द हद से बढ़ जाए तो
ग़ज़लें नज़्मे कहा कर
मुक्कु अच्छा इंसान है
उससे मिला जुला कर
मुकेश इलाहाबादी -----
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