यंहा अँधेरा ही अँधेरा होता है
तेरे आने से उजाला होता है
ग़र रातों में बेनक़ाब निकले,
महताब का अंदेसा होता है
तू आ जाये तो सावन भादों
वर्ना बारों मास सूखा होता है
ये बड़ी मतलबी दुनिया है
यंहा कौन किसी का होता है
मुकेश इलाहाबादी ----------
तेरे आने से उजाला होता है
ग़र रातों में बेनक़ाब निकले,
महताब का अंदेसा होता है
तू आ जाये तो सावन भादों
वर्ना बारों मास सूखा होता है
ये बड़ी मतलबी दुनिया है
यंहा कौन किसी का होता है
मुकेश इलाहाबादी ----------
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