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Wednesday, 22 November 2017


बाद उसके मर भी जाऊँ ग़म ना  है
तुझको पास से देखूँ यही तमन्ना है

तू दूर है मुझसे नाराज़ भी, ग़म नहीं
इस बात की तसल्ली है तू अपना है

मुकेश इलाहाबादी --------------------

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