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Wednesday, 22 November 2017

घरवाली का पारा हाई है

घरवाली का पारा हाई है
कामवाली नहीं आयी है

कभी बच्चे कभी बर्तन
सब की शामत आई है

रूखा - सूखा जो  मिले
खा लेने में ही भलाई है 

पड़ोसन को देखा लिया 
तब से पत्नी भिन्नाई है

सच तो यही पत्नी मिर्ची
पड़ोसन ताज़ी मिठाई है

मुकेश इलाहाबादी ----

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