घरवाली का पारा हाई है
कामवाली नहीं आयी है
कभी बच्चे कभी बर्तन
सब की शामत आई है
रूखा - सूखा जो मिले
खा लेने में ही भलाई है
पड़ोसन को देखा लिया
तब से पत्नी भिन्नाई है
सच तो यही पत्नी मिर्ची
पड़ोसन ताज़ी मिठाई है
मुकेश इलाहाबादी ----
कामवाली नहीं आयी है
कभी बच्चे कभी बर्तन
सब की शामत आई है
रूखा - सूखा जो मिले
खा लेने में ही भलाई है
पड़ोसन को देखा लिया
तब से पत्नी भिन्नाई है
सच तो यही पत्नी मिर्ची
पड़ोसन ताज़ी मिठाई है
मुकेश इलाहाबादी ----
No comments:
Post a Comment