जाने किस मिट्टी के बने हो मुकेश बाबू
साँझ के चराग़ सा जले हो मुकेश बाबू
यंहा तो लोग छाँह में भी छतरी ढूंढते हैं
तुम पाँव नंगे धूप में चले हो मुकेश बाबू
गवाह है तुम्हारे बदन के ज़ख्म ज़ख्म
आँधी - तूफ़ान में जिए हो मुकेश बाबू
लोग, एक बार में टूट जाते हैं, तुम तो
उम्र भर हादसों में जिए हो मुकेश बाबू
लिबास की तरह लोग बदलते हों दोस्त
कैसे एक के हो कर के रहे हो मुकेश बाबू
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
साँझ के चराग़ सा जले हो मुकेश बाबू
यंहा तो लोग छाँह में भी छतरी ढूंढते हैं
तुम पाँव नंगे धूप में चले हो मुकेश बाबू
गवाह है तुम्हारे बदन के ज़ख्म ज़ख्म
आँधी - तूफ़ान में जिए हो मुकेश बाबू
लोग, एक बार में टूट जाते हैं, तुम तो
उम्र भर हादसों में जिए हो मुकेश बाबू
लिबास की तरह लोग बदलते हों दोस्त
कैसे एक के हो कर के रहे हो मुकेश बाबू
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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