इतना सारा दर्द ले कर कहाँ जाऊँ
तुमको न बताऊँ,तो किसे बताऊँ
जिस्म के हर हिस्से पे तो घाव हैं
किसको छुपाऊँ किसको दिखाऊँ
शुबो से शाम तक मसरूफियत है
तूही बता तुझसे मिलने कब आऊँ
तुम पूछते हो किसने दग़ा किया
एक शख्श हो तो नाम गिनाऊँ
तू ही मेरी नज़्म तू ही मेरी ग़ज़ल
आ तुझे तेरे नाम की ग़ज़ल सुनाऊँ
मुकेश इलाहाबादी ----------------
तुमको न बताऊँ,तो किसे बताऊँ
जिस्म के हर हिस्से पे तो घाव हैं
किसको छुपाऊँ किसको दिखाऊँ
शुबो से शाम तक मसरूफियत है
तूही बता तुझसे मिलने कब आऊँ
तुम पूछते हो किसने दग़ा किया
एक शख्श हो तो नाम गिनाऊँ
तू ही मेरी नज़्म तू ही मेरी ग़ज़ल
आ तुझे तेरे नाम की ग़ज़ल सुनाऊँ
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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