खिलाना चाहता हूँ
एक फूल
जिसमे खुशबू तो हो
पर पंखुड़ी न हो
मै, करना चाहता हूँ प्रेम
जिसमे रूह तो हो
पर पात्र न हो
मै बनाना चाहता हूँ
एक चित्र जिसमे रूप तो हो
पर रेखाएं न हों
मै लिखना चाहता हूँ
एक कविता जिसमे भाव तो हों
पर शब्द न हों
मुकेश इलाहाबादी -------------
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