Pages

Monday, 22 January 2018

खिलाना चाहता हूँ एक फूल


खिलाना चाहता हूँ
एक फूल
जिसमे खुशबू तो हो
पर पंखुड़ी न हो

मै, करना चाहता हूँ  प्रेम 
जिसमे रूह तो हो
पर पात्र न हो

मै बनाना चाहता हूँ
एक चित्र जिसमे रूप तो हो
पर रेखाएं न हों

मै लिखना चाहता हूँ
एक कविता जिसमे भाव तो हों
पर शब्द न हों 

मुकेश इलाहाबादी -------------

No comments:

Post a Comment