देख,
ईश्क़ के खिले
ताज़ा गुलाब ले आया
ताज़ा गुलाब ले आया
प्यार की ओस में भीगे
जज़्बात ले आया
जज़्बात ले आया
हैं शावक कूदते
मोर नाचते,कोयलें कूंकती
जंगल की इक खूबसूरत
शाम ले आया
मोर नाचते,कोयलें कूंकती
जंगल की इक खूबसूरत
शाम ले आया
नफरत और शोलों के शहर में
मुहब्बत की ख़बरों का
अख़बार ले आया
मुहब्बत की ख़बरों का
अख़बार ले आया
लौटा हूँ
अभी - अभी अपने प्रिय के गाँव से
मत पूँछ मुकेश,
कितनी मीठी यादें अपने साथ लाया
अभी - अभी अपने प्रिय के गाँव से
मत पूँछ मुकेश,
कितनी मीठी यादें अपने साथ लाया
मुकेश इलाहाबादी ----------
No comments:
Post a Comment