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Monday, 16 April 2018

छोटे कलेवर का बृहद काव्यसंग्रह - तुम्हारे जाने के बाद - कवियित्री - मधु सक्सेना ----------------------------------------------------------------------------------------

छोटे कलेवर का बृहद काव्यसंग्रह - तुम्हारे जाने के बाद - कवियित्री - मधु सक्सेना
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सोचो,
जीवन की पगडंडी पे
चले जा रहे हो, आप
ख़रामा - ख़रामा
खुश - खुश
सब कुछ गुड़ी - गुड़ी
और,,,,,
अचानक आप का जीवन साथी
सीने में दर्द की  बात कहता है
और आप कुछ समझो - समझो वो
आप का हाथ छुड़ा के
हवा में विलीन हो जाता है
हमेशा - हमेशा के लिए
और छोड़ जाता है
एक न भरने वाला शून्य
इसी शून्य को अपनी कविताओं से भरने का  सार्थक और प्यारा प्रयास है
आभासी दुनिया की मेरी एक बहुत प्यारी मित्र और एक बहुत अच्छी कवियित्री "मधु सक्सेना" जी का ताज़ा काव्य संग्रह, 'तुम्हारे जाने के बाद'

तुम्हारे जाने के बाद मधु जी का काव्य संग्रह न केवल अपने जीवन साथी के प्रति सच्ची निष्ठा और भावांजलि है, बल्कि अपने प्रेमी और पति के
लिए लिखा जाने वाला अनूठा काव्य संग्रह है।  जो शायद आज तक किसी और कवियित्री ने अपने प्रेमी या पति की याद में रचा हो।
मधु जी से पिछले दिनों उनके दिल्ली प्रवास के दौरान मुलाकात हुई.
सौम्य व्यवक्तित्व , हँसता हुआ चेहरा - और स्नेह पूर्ण व्यव्हार - मधु जी के व्यक्तित्व की वो खाशियत है जो किसी को भी अपना बना लेने के
लिए पर्याप्त हैं , मधु जे से मुलाकात फेसबुक की दुनिया में हुई और कुछ ही दिनों में एक अच्छे मित्र में या मुलाकात तब्दील हो गयी।
खैर ,,, बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ की कोई काव्य संग्रह एक ही बैठक में सांस रोक के पढ़ा हो -
47 छंद मुक्त कविताओं की यह काव्यमाला पढ़ते वक़्त ऐसा लगा जैसे एक लघु उपन्यास  या एक कथा पढ़ा रहा हूँ - अपने से बिछड़ने की -
एक एक कविता एक एक मनोभावों और घटनाओ का न केवल सजीव चित्रण करती है बल्कि पाठक को भावों के ऐसे समंदर में डुबो ले जाती हैं
जंहा सिर्फ और सिर्फ एक आर्तनाद होता है सिसकियाँ होती हैं अपने प्रिय से हमेशा के लिए बिछड़ने का दंश होता है और वैधव्य की त्रासदी होती है,
और होता है एक न भरने वाला शून्य जिससे पाठक देर तक उबर नहीं पाता ,
जंहा आधे रंगीन और आधे स्वेत - श्याम रँग का कवर पेज संग्रह के कथ्य और मूल भाव से मेल खाता है, वही सुंदर छपाई और कलेवर वाली 'बोधि प्रकाशन'
से प्रकाशित मात्र सैंतालीस रचनाओं के इस बृहद काव्य संकलन के लिए - मधु जी को ढेरों बधाई -
विशेष बात यह भी है मधु जी ने साग्रह की भूमिका भी अपनी सहेलियों से लिखवाई है


मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

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