तू,
मेरी कोई रिश्तेदार नहीं
बिज़नेस पार्टनर या ऑफिस कलीग नहीं
यंहा तक कि पड़ोसी भी नहीं
कि ज़रूरत पड़ जाये गाहे - बगाहे
फिर क्यूँ ऐसा लगता है
तू नहीं तो - कुछ भी नहीं है
ज़िंदगी में
मुकेश इलाहाबादी -----------
मेरी कोई रिश्तेदार नहीं
बिज़नेस पार्टनर या ऑफिस कलीग नहीं
यंहा तक कि पड़ोसी भी नहीं
कि ज़रूरत पड़ जाये गाहे - बगाहे
फिर क्यूँ ऐसा लगता है
तू नहीं तो - कुछ भी नहीं है
ज़िंदगी में
मुकेश इलाहाबादी -----------
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