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Tuesday, 12 June 2018

काश तुमने मुस्कुरा दिया होता

काश तुमने मुस्कुरा दिया होता
बदली में चाँद खिल गया होता

अगर परिंदो की तरह पँख होते 
मै उड़कर तुम तक पंहुचा होता

तूने दरीचा खोला ही नहीं, वर्ना
मै तेरी गली में रुक गया होता  

मेरे पास जज़्बात हैं लफ़ज़ नहीं
वर्ना मैंने,तुझे ख़त लिखा होता

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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